डेस्क: उत्तर प्रदेश के कानपूर जिले में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करके फरार उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे को स्थानीय पुलिस स्टेशन के ही किसी व्यक्ति ने उसके यहां छापे की जानकारी दी थी जिसका खुलासा विकास दुबे के साथी दयाशंकर अग्निहोत्री ने रविवार को पुलिस को दी। वही इसके अलावा विकास दुबे के मोबाइल फोन से बरामद डेटा में 20 पुलिस अधिकारियों के नंबर मिले हैं। इनमें बिकरू गांव के चौबेपुर पुलिस स्टेशन के दो पुलिसकर्मी भी लगातार उसके संपर्क में थे, यह वहीं गांव हैं, जहां पर मुठभेड़ हुई थी। कल्याणपुर इलाके में गोलाबारी के बाद पकड़ में आए अग्निहोत्री ने पुलिस को बताया कि उसे (विकास दुबे को) पुलिस स्टेशन से फोन कॉल आया था कि उसे गिरफ्तार करने के लिए 25-30 पुलिस के जवान आ रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई ने कहा कि चौबेपुर स्टेशन के अधिकारी विनय तिवारी को निलंबित कर दिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, तिवारी ने पुलिस अधिकारियों की बैक-अप टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे में देरी की थी और वह लगातार विकास दुबे के संपर्क में था।
आपको बता दे की दुबे पर पहले से ही हत्या, अपहरण, जबरन वसूली और दंगों के 60 से अधिक मामलों हैं। वही पुलिस के भीतर जासूसों पर सवाल उठाए हैं, जिन्होंने विकास दुबे जैसे अपराधियों की मदद की। कानपुर के पुलिस प्रमुख मोहित अग्रवाल ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अपराधियों की मदद करने वाले दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विकास दुबे का आपराधिक रिकॉर्ड 1990 में हत्या के एक मामले के साथ शुरू हुआ। 2001 में उसपर कानपुर में बीजेपी नेता संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप लगा था, जिसका पीछा करने के बाद विकास दुबे ने शुक्ला को पुलिस स्टेशन के अंदर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई थी। 2002 में दुबे ने ‘आत्मसमर्पण’ किया, लेकिन बरी हो गए।