डेस्क: वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल का बुधवार सुबह साढ़े तीन बजे निधन हो गया। उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। वे कोरोना से संक्रमित थे।
गुजरात के भरूच जिले के पिरामण तहसील क्षेत्र के निवासी मोहम्मद इशकजी पटेल और हवाबेन मोहम्मद भाई के घर जन्मे अहमद पटेल के पिता कांग्रेस में थे। पिता की सीख और राजनीतिक परविश में अहमद पटेल राजनीति की सीढ़यों पर चढ़ने लगे और बहुत तेजी के साथ बुलंदियों पर पहुंच गए। पिता के अनुभवों, नसीहतों ने अहमद पटेल की जिंदगी कितनी बदल दी थी यह उनके राजनीतिक कद को देखकर सहज समझा जा सकता है। वह कांग्रेस के ऐसे नेता थे जो राजीव और सोनिया गांधी परिवार के बहुत ही करीबी और विश्वसनीय थे।
अहमद पटेल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत नगरपालिका के चुनाव से की थी। वे पंचायत के सभापति भी बन गए थे। इसके बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और फिर राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। इन्दिरा गांधी के आपातकाल के बाद 1977 में आम चुनाव हुए थे, जिसमें इन्दिरा गांधी की हार हुई थी। इसी चुनाव में अहमद की जीत हुई और वे पहली बार पहली बार वर्ष 1977 में सांसद के रूप में लोकसभा में आए थे।
21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले की अंकलेश्वर तहसील के पिरामण गांव में जन्मे अहमद पटेल को सियासी बिसात का होनहार माना जाता था। अहमद पटेल तीन बार लोकसभा सांसद और चार बार राज्यसभा सांसद रहे। उन्होंने अपना पहला चुनाव वर्ष 1977 में भरूच लोकसभा सीट से लड़ा था। इस चुनावी मुकाबले में अहमद पटेल 62 हजार 879 मतों से जीते थे। अहमद 1977, 1980,1984 में तीन बार लोकसभा सभा सांसद और 1993,1999, 2005, 2011, 2017 वर्तमान तक पांच बार राज्यसभा सांसद रहे हैं।