डेस्क: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के संस्मरण ‘ए प्रोमिज्ड लेंड’ नामक पुस्तक में प्रकाशित हुए हैं। इस पुस्तक के पहले भाग में उन्होंने अपनी 2010 की पहली भारत-यात्रा का वर्णन किया है। उसके दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल से हुई उनकी भेंट का भी विवरण है। उसे लेकर भारत के पक्ष-विपक्ष में काफी नोक-झोंक हो रही है। यह नोक-झोंक उस वक्त हो रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी बिहार, म.प्र., उ.प्र., गुजरात आदि प्रांतों में बुरी तरह से हार गई हैं।
राहुल गांधी को पसंद करते हुए भी ओबामा ने उन्हें आत्मविश्वासरहित उथला-सा नौजवान बताया है। इसे लेकर राहुल पर आक्रमण करने की जरुरत क्या है ? यह तो राहुल पर बड़ी तात्कालिक, नरम और तटस्थ टिप्पणी है। भारत के लोग यह कई बार बता चुके हैं कि वे राहुल के बारे में क्या सोचते हैं लेकिन कांग्रेसी लोग सार्वजनिक तौर पर या तो चुप रहते हैं या फिर राहुल के कसीदे काढ़ते हैं। यह उनकी मजबूरी है। ओबामा की इस टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करना भी ठीक नहीं है, क्योंकि उन्हें जो ठीक लगा, सो उन्होंने लिख दिया। यदि वे कांग्रेस-विरोधी और मोदीभक्त होते तो क्या उसी प्रसंग में वे डॉ. मनमोहनसिंह और सोनिया गांधी की इतनी ज्यादा तारीफ करते ।
किताब की चर्चा भारत में बहुत हो रही है।क्योंकि इसमें उन्होंने अपने2010 के भारत दौरों को लेकर लिखा है । जिसमे उन्होंने राहुल गांधी के बारे में लिखा की राहुल गांधी नर्वस छवि जैसे है और उनमें जनून की कमी है ।वे उन बच्चो में से है जो जिसने अपना कोर्स पूरा कर लिया है और शिक्षक को प्रभावित करने के लिए उत्सुक है लेकिन अंदर कही उसे विषय कही महारत हासिल नहीं है।इसमें पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात को लेकर ओबामा ने कई अहम बातों का जिक्र किया है।ओबामा ने लिखा है कि26/11 के मुम्बई हमलो के बाद पाकिस्तान के खिलाफ होने वाली कार्रवाई का विरोध किया था।जिसका उन्हें राजनीतिक जीवन में बहुत गहरा नुकसान हुआ।
लेकिन ओबामा ने ये भी लिखा है कि मनमोहन सिंह ने इस बात का जिक्र किया था कि भारत में मुस्लिमों के प्रति बढ़ रही दुर्भावना तब की तत्कालीन मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने मजबूत किया है।लेकिन ओबामा ने अपनी किताब में मनमोहन सिंह की तारीफ के कशीदे लिखे हैं ।जिसमे उन्होंने मनमोहन सिंह को बेहद बुद्धिमान विचारशील और ईमानदार बताया है।और कहा है कि मैंने और मनमोहन सिंह ने मधुर रिश्ते विकसित किये है।जबकि वे विदेश नीति में सतर्क हो सकते थे, जो भारतीय नोकरशाही से बहुत आगे निकलने के लिए शायद तैयार नही है।जो ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी इरादों के लिए संदिग्ध हो सकता था।
लेकिन हमारी मुलाकात में ये स्पष्ट किया कि मनमोहन सिंह एक सामान्य बुद्धिमत्ता और शालीनता से भरे शख़्श है। लेकिन उन्होंने एक बहुत अहम बात कही है जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा बन सकती है।ये केवल एक भर्म है कि भारत में सिंह के उदय ने भारत के लोकतंत्र का भविष्य का प्रतिनिधित्व किया था।आगे ओबामा ने ये भी लिखा है कि मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री इस लिये चुना क्योंकि एक बुजुर्ग सिख के पास कोई राजनीतिक आधार नही था वो अपने40 वर्षीय बेटे राहुल गांधी को पार्टी संभालने के लिए तैयार कर रहे थे।
ओबामा ने लिखा है कि डिनर की उस रात सोनिया गांधी ने कुछ बोलने की बजाय सुनने में ज्यादा ध्यान दिया है।वो नीतियों से जुड़े मसलो पर मनमोहन सिंह अलग मत लेकर कुछ बोलने पर सावधानी बरतते दिखे ।अक्सर बातचीत को उन्होंने सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी की तरफ मोड़ा।ओबामा ने कहा कि राहुल ने प्रगतिशील राजनीतिक भविष्य के बारे में अपने विचार रखे।