डेस्क: लोकसभा में मंगलवार को संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन (संसोधन) विधेयक, 2020 गया। इस विधेयक के तहत एक साल तक सांसदों को सैलरी 30 फीसदी कटकर मिलेगी। लोकसभा में ज्यादातर सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया, लेकिन उनकी यह मांग थी कि सरकार सांसद निधि में कटौती ना करे।
सोमवार को लोकसभा में संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया. यह विधेयक संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा। इस अध्यादेश को छह अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह सात अप्रैल को लागू हुआ था।
इस अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने तुरंत राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है और इसलिए महामारी को फैलने से रोकने के लिये कुछ आपात कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। यह कदम उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है। जोशी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा आती है तब एक विशिष्ट क्षेत्र को प्रभावित करती है, युद्ध दो देशों की सीमाओं को प्रभावित करता है। लेकिन कोविड-19 ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है, दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रूपये के पैकेज के साथ ही 1.76 लाख करोड़ रूपये की गरीब कल्याण योजना की शुरूआत की। सरकार ने मनरेगा का आवंटन बढ़ाया और ग्रामीण आधारभूत ढांचे के लिये काम किया।
सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिये निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिये कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी। चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह एक पिछड़े हुए क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और ऐसे में सांसद निधि नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि सांसद निधि का अधिकतर पैसा गांवों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए खर्च होता है और ऐसे में यह निधि निलंबित करके सरकार इनके खिलाफ काम कर रही है।