डेस्क: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज हाथरस में 14 सितंबर को एक युवती के साथ हुए कथित गैंगरेप और उसके बाद मारपीट व मौत के मामले को लेकर सुनवाई की। कोर्ट ने इस इस घटना का खुद संज्ञान लिया था। इस मामले में अब अगली सुनवाई दो नवंबर को होनी है।
पीड़िता के परिजनों ने कोर्ट में भी कहा कि अंतिम संस्कार उनकी मर्जी के बगैर हुआ। परिजनों ने आगे जांच में फंसाए जाने की आशंका जताई और साथ ही सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। अगली सुनवाई के दिन पीड़िता के परिजनों के आरोप पर बहस होगी।दालत की ओर से इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया गया था, जिसमें परिवार और सरकार का पक्ष पूछा गया था।
इस मामले में कोर्ट ने प्रशासन और पुलिस दोनों को ही कोर्ट में तलब किया था, जो भी अधिकारी इस केस से जुड़ा था। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय ने पीड़िता का रात को अंतिम संस्कार करने के ऊपर अधिकारियो से पूछा की क्या आप में से किसी की बेटी होती तो आप रात को इसका अंतिम संस्कार होने देते। कोर्ट ने पुलिस के ढीले रवैये पर भी सवाल खड़े किये।
इसके जवाब में डीएम ने कोर्ट में लड़की के अंतिम संस्कार से अपना पल्ला झड़ते हुए कहा की इसका फैसला स्थनीय प्रसाशन ने लिया था। डीएम या शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारीयों का इस फैसले से कोई लेना देना नहीं है। स्थनीय क़ानून व्वयस्था को न बिगड़े, इसलिए यह कदम उठाया गया. इस जवाब पर कोर्ट ने घेरते हुए पूछा की इतने पुलिस बल होने के बाद भी क़ानून व्वयस्था कैसे बिगड़ सकती थी।
वहीँ दूसरी और पीड़िता के परिवार ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा की उनकी मर्ज़ी के बिना अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें तो यह भी नहीं पता की वह किसकी लाश थी। उन्होंने स्थानीय पुलिस और प्रसाशन पर दबाव बनाने का आरोप लगते हुए कहा की उन्हें अपनी जान का खतरा है।
हाथरस पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि पीड़ित परिवार ने मांग की है कि सीबीआई की रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाए। हमारी दूसरी मांग थी कि मामला यूपी से बाहर ट्रांसफर किया जाए और तीसरी मांग यह है कि मामला जब तक पूरी तरह से खत्म नहीं होता तब तक परिवार को सुरक्षा प्रदान किया जाए।