डेस्क: राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मनाने में जुटा हुआ है। जानकारी अनुसार पार्टी के नेता राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी पायलट से बातचीत करके उन्हें मनाने का प्रयास कर रहे हैं, पर वह बातचीत के मूड में नहीं हैं। वहीं अब कांग्रेस पार्टी ने बड़ा एक्शन लेते हुए सचिन को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।
और वही जयपुर के होटल फेयरमॉन्ट में हुई विधायक दल की बैठक में पायलट और बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पास किया गया। जिसके बाद सचिन पायलट को मंत्री पद से बर्खास्त किया गया। सचिन पायलट के अलावा विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्रिमंडल से बाहर निकाला गया है और गोविंद सिंह को राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
चर्चा ऐसे चल रही है की कांग्रेस नेताओं को लगता है कि भले ही पायलट के पास पर्याप्त संख्या-बल न हो, मगर वह बीजेपी की मदद से गहलोत के खिलाफ खेमाबंदी कर सकते हैं। ऐसा कर वह राजनीतिक संकट के बीच बागी विधायकों की संख्या बढ़ाते रहेंगे। जो कि आगे जाके कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
दरअसल राजस्थान के सियासी रण में जारी शह-मात के खेल में पायलट पर गहलोत भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। हालांकि, डेढ़ साल पहले कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को सी.एम. बनाने का फैसला किया था तो पायलट को पार्टी में एक विक्टिम के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन पार्टी में बगावत की राह अख्तियार कर सचिन पायलट कहीं अपनी छवि को धूमिल तो नहीं कर रहे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस की जीत के हीरो बने सचिन पायलट ने अब सी.एम. अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। पायलट के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच कांग्रेस ने अपने तेवर सख्त कर लिए हैं।
कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा जयपुर भेजे गए नेता गहलोत सरकार को बचाने में जुटे हैं। इस राजनीतिक शह-मात के खेल में सचिन पायलट को ही राजनीतिक नुक्सान होता नजर आ रहा है। वह कांग्रेस में नंबर दो की हैसियत के नेता हैं, लेकिन भाजपा में जाते हैं तो यह पोजीशन हासिल नहीं कर पाएंगे। 2018 में कांग्रेस को जीत दिलाकर वह हीरो बने थे, लेकिन बगावती रुख से सचिन पायलट सिर्फ और सिर्फ अपना नुक्सान ही करते जा रहे हैं। राज्य में एक अच्छी-खासी चलती सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी सचिन पायलट पर लग रहा है। इसके अलावा कांग्रेस के ज्यादातर विधायक अभी भी गहलोत के साथ हैं, इसीलिए कांग्रेस नेतृत्व ने पायलट से ज्यादा गहलोत को अहमियत दी है।