डेस्क: केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ आज किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई किसान संगठनों ने आज राष्ट्रव्यापी भारत बंद बुलाया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, अखिल भारतीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन द्वारा देशव्यापी भारत बंद का आह्वान किया ।
पंजाब व हरियाणा के हजारों प्रदर्शनकारी किसान सड़को पर उतरेम पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में जान जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। जहां एक ओर पंजाब में किसानों ने रेल लाइनों पर बैठकर चक्का जाम कर दिया तो दूसरी तरफ कर्नाटक के किसानों ने किसान एसोसिएशन के झंडे तले कर्नाटक, तमिलनाडु हाई वे पर भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद यातायात को रोक कर रखा।
हुक्कों के साथ इन पर बैठे किसान मोदी सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नोएडा में जब किसानों ने रास्तों को घेर लिया तो प्रसाशन को मजबूर हो कर जाम से निपटने के लिए दूसरे रास्तों से यातायात को निकालना पड़ा।
बिहार में आरजेडी के नेतृत्व में किसान सड़कों पर उतर आये, आगे आगे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ट्रैक्टर पर सवार थे तो उनके पीछे हरे झंडे लहराते हुए किसान बंद के समर्थन में निकल पड़े। जहां एक ओर कांग्रेस इन किसानों के समर्थन में खुल कर सड़कों पर थी तो दूसरी ओर आरजेडी, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, आप, टीएमसी भी इन किसानों का समर्थन कर रहे थे।
भारत बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब में देखने को मिला जहां अमृतसर,फरीदकोट , हरियाणा का अम्बाला किसानों के हुज्जूम से भरा था, मानो कोई मानव सैलाब निकल पड़ा हो। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस इस बार बंद को अपनी कोशिश की बानगी के तौर पर देख रही है। उसका इरादा इस आंदोलन को और तेज़ करने का है।
कांग्रेस से मिली खबरों के अनुसार देश के 25 राज्यों में किसान विरोधी विधेयक को वापस लेने की आवाज़ उठाते हुए सड़कों पर उतरे। कुछ स्थानों पर पुलिस ने बल प्रयोग भी किया, बावजूद इसके किसान डटे रहे। किसानों की मांग है कि इन क़ानूनों को वापस लिया जाए और समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाए।
वामपंथी नेता अतुल कुमार अनजान ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि मोदी ने 2014 में स्वामी नाथन आयोग की सिफ़ारिशें की लागू करने का वादा किया था लेकिन अब वे वादे से मुकर रहे हैं।