डेस्क: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए से शिरोमणि अकाली दल अलग हो गई है। पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने एलान किया कि उनकी पार्टी राजग से अलग हो रही है। सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि ‘हम एनडीए का हिस्सा नहीं हो सकते हैं जो इन अध्यादेशों को लाया है। यह सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि शिरोमणि अकाली दल अब एनडीए का हिस्सा नहीं है।
सुखबीर सिंह बादल कहा कि कृषि से संबंधित अध्यादेशों को लाने वाली एनडीए का हम हिस्सा नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि एनडीए से अलग होने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। अकाली दल ने कहा, हमने एमएसपी (MSP) पर किसानों की फसलों के सुनिश्चित विपणन की रक्षा के लिए वैधानिक विधायी गारंटी देने से मना करने पर बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला किया। इसके साथ ही सिख और पंजाबी मुद्दों पर भी सरकार असंवेदनशील थी।
9 दिन पहले हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थीं। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है।
बता दे कि, भाजपा और अकाली दल पिछले 22 साल से साथ थे। पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए मोदी सरकार के कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि अगर पार्टी इनके लिए हामी भरती तो पंजाब के बड़े वोट बैंक यानी किसानों से उसे हाथ धोना पड़ता।
पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता।