अयोध्या बाबरी विध्वंस केस में आज लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया जब सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है।
करीब तीन दशक पुराने इस मामले में देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे कई बड़े नेता आरोपी थे। विेशेष CBI अदालत ने मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
सभी आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने अपनी राय में कहा है कि जो भी वहां लाखों कार सेवक इकट्ठा हुए थे वे वहां पर सुप्रीम कोर्ट के कार सेवा के आदेश के बाद इकट्ठा हुए थे
बता दे कि यह मामला 6 दिसंबर, 1992 का है। कहा जाता है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को दिसंबर 1992 में कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने लगभग तीन दशक पुराने मामले में अपना फैसला सुनाने के लिए ट्रायल कोर्ट की समयसीमा 30 सितंबर तय की थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अदालत ने निर्धारित तारीख तक सुनवाई पूरी करने के लिए दिन-प्रतिदिन की सुनवाई की थी। केंद्रीय एजेंसी ने अदालत के समक्ष साक्ष्य के रूप में 351 गवाह और 600 दस्तावेज पेश किए थे। विवादित ढांचा ध्वंस में 28 साल बाद फैसला आने से कई आरोपित केस का फैसले के वक्त जीवित नहीं हैं। मामले में 48 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन अब तक 17 की मौत हो चुकी है।