डेस्क: नए कृषि संशोधन कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों की सरकार से वार्ता बेनतीजा रही है। हालांकि कृषि मंत्री ने दावा किया कि बातचीत का माहौल सकारात्मक था, अगले चरण की वार्ता में मंत्री ने मामले के सुलह की उम्मीद जताई।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल के साथ हुई बैठक में 35 सदस्य शामिल हुए थे। फिलहाल इस बैठक में कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है। तीन दिसंबर को एक बार फिर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बैठक होगी।
किसानों का कहना है कि बैठक में सरकार पूरी तैयारी के साथ नहीं आई थी। इसलिए कोई निर्णय नहीं हुआ है। हमने सरकार से साफ शब्दों में कह दिया है कि केंद्र सरकार तय नहीं करेगी कि कौन सा व्यक्ति किसानों की तरफ से शामिल होगा और कौन नहीं। ये हम तय करेंगे कि हमारी तरफ से बैठक में कौन शामिल होगा।
बैठक से बाहर आने के बाद किसान नेताओं के चेहरे तमतमाए हुए थे। उन्होंने साफ किया कि जब तक सरकार उनकी बातें मान नहीं लेती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेताओं ने कल कृषि कानूनों को लेकर खुद के अध्ययन की बात कही। उन्होंने कहा कि वो अच्छी तरह कानूनों के बारे में पढ़कर आएंगे इसक बाद परसों सरकार से फिर चर्चा करेंगे। 3 दिसंबर को सरकार के सामने एक बार फिर किसानों का प्रतिनिधिमंडल अपना पक्ष रखेगा।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के सामने समिति बनाने का प्रस्ताव दिया जिसमें किसान प्रतिनिधियों के साथ कृषि एक्सपर्ट को शामिल करने का भरोसा दिलाया गया। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस वार्ता में किसान नेताओं ने मंत्री के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हालांकि ये तय हुआ कि अगली बैठक 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे होगी। नरेंद्र सिंह तोमर के आंदोलन खत्म करने के अनुरोध को भी किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है। साथ ही धमकी दी है कि सरकार अगर उनकी बात नहीं मानती है तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि उन्हें आगामी 3 दिसंबर को होने वाली बातचीत से काफी उम्मीदें हैं। किसान नेताओं ने समिति को मामला सौंपने पर देरी होने की दलील दी। समिति जबतक कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती तब तक ये मामला यूं ही लटका रहेगा, लिहाजा मुखर आंदोलन के जरिए किसान अपना दबाव बनाए रखना चाहते हैं। मंत्री ने यहां तक भरोसा दिलाया कि समिति रोजाना बैठकर चर्चा करेगी। जिसे मानने के लिए किसान नेता तैयार नहीं हुए। किसानों के एक नेता ने मंत्री के सामने कहा कि नया कानून उनके लिए ‘डेथ वारंट’ की तरह है।
वही किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा जो कानून है वो आने वाले समय में उनके खेतों पर दखल खत्म कर देगा। वक्त के साथ बड़े कॉरपोरेट घरानों के आगे उन्हें झुकना होगा। आक्रोशित एक किसान नेता ने मंत्री के सामने यहां तक कहा कि आप नए कानून के जरिए किसानों का भला करना चाहते हैं, तो हम कह रहे हैं कि आप हमारा भला मत करिये।