डेस्क: केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में किसानों को बडी सौगात देते हुए गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इसका निर्णय लिया गया और लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी घोषणा की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि एमएसपी, एपीएमसी बनी रहेगी, सरकारी खरीद होती रहेगी और इसके साथ किसान जहां चाहें अपने उत्पाद बेच सकेंगे।
इसी तरह चने का समर्थन मूल्य 225 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर अब 5100 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। सरसों के समर्थन मूल्य में 225 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है और यह 4650 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है जबकि मसूर के समर्थन मूल्य को 300 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5100 रुपए और जौ के समर्थन मूल्य को 75 रुपए बढ़ाकर 1600 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ था।
सरकार किसानों से जिस भी फसल की खरीद करती है वह सारी खरीद समर्थन मूल्य पर ही होती है। हाल ही में गेहूं की सरकारी खरीद पूरी हुई है और 1925 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर किसानों से 390 लाख टन गेहूं खरीदा गया है जो देश में पैदा हुए कुल गेहूं का एक तिहाई से ज्यादा है। इसी तरह 762 लाख टन से ज्यादा धान खरीदा गया है जिसमें से 511 टन चावल निकला है जो देश में पैदा होने वाले कुल चावल का 43 प्रतिशत से ज्यादा है। धान की खरीद 1868 और 1888 रुपए प्रति क्विंटल पर हुई है।
हालांकि, सरकार ने रविवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि कृषि मंडी और एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा। वहीं कृषि से जुड़े दो बिल के पास होने के बाद विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि इस दोनों बिल के पास हो जाने से किसानों के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को केंद्र सरकार खत्म कर देगी।
बता दे कि किसानों से जुड़े दो बिल को लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में किसानों का प्रदर्शन जारी है। वहीं, विपक्ष लगातार इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन विधेयकों को किसानों के खिलाफ ‘मौत का फरमान’ बताया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, जो किसान धरती से सोना उगाता है, मोदी सरकार का घमंड उसे खून के आंसू रुलाता है। राज्यसभा में आज जिस तरह कृषि विधेयक के रूप में सरकार ने किसानों के खिलाफ मौत का फरमान निकाला, उससे लोकतंत्र शर्मिंदा है।