डेस्क: बिहार पुलिस में लंबे समय तक सेवा देने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार के डीजीपी के पद से रिटायरमेंट ले ली है। गुप्तेश्वर पांडे ने VRS के लिए आवेदन किया था जिसे राज्य सरकार ने मान लिया है। गुप्तेश्वर पांडे की जगह संजीव कुमार सिंघल को DGP का अतीरिक्त कार्यभार सौंपा गया है और इस सिलसिले में राज्य सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है। माना जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ NDA के प्रत्याशी हो सकते हैं।
गुप्तेश्वर पाण्डेय 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।उन्होंने बिहार के कुछ प्रमुख जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया है। यही नहीं तिरहुत डिवीजन मुजफ्फरपुर रेंज के आईजी के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने अपराध पर अंकुश लगाने और पुलिस के लोगों को अनुकूल बनाने के लिए कई पहल शुरू की थीं।
यूँ देखा जाए तो पांडेय को CM नीतीश कुमार का खूब साथ मिला है। नीतीश कुमार का भी पांडेय ने अपनी तरफ से भरपूर साथ दिया है । 31 जनवरी 2019 से पहले जब वे बिहार के DGP नहीं थे तब उन्होंने पूरे बिहार में शराबबंदी को लेकर मुहिम चलाई थी जो काफी हद तक सफल रही थी। माना जाता है कि नीतीश इसी बात से खुश होकर पांडेय को DGP पद का तोहफा दिया था। हाल में जब सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती ने नीतीश कुमार को लेकर टिप्पणी की थी तो पांडेय ने रिया चक्रवर्ती को औकात में रहने की नसीहत तक उन्होंने दे डाली थी दे दी थी।
यूँ तो पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय, दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को व्यक्ति विशेष के तौर पर नहीं जानते लेकिन फिर भी उन्होंने इस केस को जोर शोर से उठाया। पांडेय ने दावा किया, ”उस मामले में जो लडाई लडी़ वह बिहार की अस्मिता और सुशांत को न्याय दिलाने के लिए किया।
वही अब यह माना जा रहा है कि वह अब राजनीति में उतर सकते हैं। उन्हें बक्सर से टिकट मिल सकता है। पिछले दिनों उन्होंने बंद कमरे में जेडीयू के बक्सर जिला अध्यक्ष से मुलाकात की थी। पिछले दिनों एक इंटरव्यू में गुप्तेश्वर पांडे से राजनीति में जाने के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि इसमें गलत क्या है।
बता दे कि यह पहली बार नहीं है कि 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने के लिए नौकरी से वीआरएस लिया है। पांडे यह घोषणा करने में संकोच कर रहे थे कि वह 2009 में अपने अनुभव के कारण चुनाव लड़ेंगे, जब उन्होंने इस उम्मीद में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया कि उन्हें बक्सर संसदीय सीट से भाजपा का टिकट मिलेगा लेकिन भाजपा स्वर्गीय लालमुनि चौबे के साथ फंस गई थी, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके इस्तीफे को बचा लिया।