बेमेतरा जिले में आत्महत्या के मामले बढ़ेते जा रहे है। दो सालों में दो सौ से अधिक आत्महत्या के प्रकरण जिले के थानों में दर्ज किया गया है। जिला अस्पताल में जनवरी से अब तक 6० प्रकरण आत्महत्या के प्रयास का दर्ज किया गया है। आत्मघाती कदम उठाने का प्रकरण रोजाना जिला अस्पताल व थाने में पहुंच रहा है।

आंकड़ों के अनुसार, जिले में बीते 2 सालों मे 195 प्रकरण आत्महत्या का दर्ज किए गया है। 2014 के दौरान 34 महिलाओं एवं 51 पुरुषों ने आत्महत्या का रास्ता अपनाया। इसके पश्चात 2015 के दौरान 69 पुरुषों व 41 महिलाओं सहित 110 लोगों ने आत्महत्या की। वहीं इस साल जनवरी से लेकर अब तक आत्महत्या के 60 प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 13 महिलाओं और 47 पुरुषों के प्रकरण शामिल हैं।
वही जिला अस्पताल में जनवरी से अब तक तकरीबन 6० प्रकरण आत्मघाती कदम उठाने के बाद इलाज के लिए पहुंचे हैं। जिसमें सर्वाधिक जहर खाने का प्रकरण साथ ही आग लगाने, मिट्टी तेल पीने, हाथ का नस काट लेने के भी मामले है। इसमें से ज्यादातार प्रकरण इलाज के लिए रायपुर मेकाहारा भेज दिए गए। बर्निंग मामले के सभी घायलों को मेकाहारा भेजा गया। इसके अलावा कुछ प्रकरण में इलाज जिला अस्पताल मेंव् ही किए गए हैं।
आत्महत्या के लिए कदम उठाने वालों में हर उम्र के लोग शामिल है। ज्यादातर प्रकरण 20 से 40 वर्ष आयु वर्ग के लोग हैं। कई प्रकरणों में नाबालिगों ने भी कदम उठाए हैं। बुधवार को ही सरदा निवासी कक्षा 9 वीं की छात्रा क्षमा चक्रधारी ने अपने भतीजे को साथ लेकर आग लगा ली। दोनों गंभीर हालत में मेकाहारा में भर्ती है, जिनका इलाज जारी है।
आत्महत्या का कदम उठाए जाने पर एएसपी गायत्री सिंह कहती है कि लोग अलग-अलग कारणों से इस तरह के कमद उठा लेते हैं। भौतिकवादी परिस्थिति से पीछे रहने वाले इस बीच संतुलन नहीं बना पाने के कारण कदम उठा लेते हैं। लोगों को जीवन जीने की ओर आगे बढऩा चाहिए व निराशा-अवसाद से दूर रहने का प्रयास करें।
वही मामले पर सिविल सर्जन डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि कई कारणों से लोग आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। ऐसे मामलों में तत्कालीन मानसिक स्थिति भी मायने रखती है। वर्तमान में जीवन शैली भी काफी हद तक लोगों में अवसाद पैदा करना है। मेडिकल भाषा में सीमा विचलन की स्थिति होती है। कई सफलता नहीं मिलने पर भागदौड़, तनाव व जीवन से संतुलन नहीं बना पाने वाले भी कदम उठा लेते हैं।