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मामे खान ने रचा इतिहास, कान में भारत के लिए रेड कार्पेट पर नेतृत्व करने वाले पहले लोक कलाकार बने

भारतीय लोक कलाओं के लिए एक ऐतिहासिक पल के रूप में, श्री मामे खान कान में भारतीय दल की तरफ से रेड कार्पेट का नेतृत्व करने वाले पहले लोक कलाकार बने।

भारतीय सिनेमा की विविधता और विशिष्टता को दिखाते हुए इस ग्लैमर से भरे रेड कार्पेट दल में भारत की फिल्मी हस्तियां शामिल थीं। 11 सदस्यों का ये दल जब “पलाइस डेस फेस्टिवल्स” की ऐतिहासिक सीढ़ियों की ओर बढ़ा तो वैश्विक सिनेमा का केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा के सभी प्रतीकों को ये प्रतिनिधिमंडल अपने में संजोए था।

मंत्री महोदय के साथ आने वाली 10 सेलेब्रिटीज़ में तीन संगीत के उस्ताद रहे जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं और साथ में भारतीय सिनेमा के जाने-माने फिल्म निर्माता और अभिनेता मौजूद रहे, जो विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं, मुख्य धारा के और ओटीटी सिनेमा का प्रतिनिधित्व करते हैं। कहानीकारों की धरती भारत कान में अभी तक की सबसे मजबूत रेड कार्पेट उपस्थिति के माध्यम से दुनिया के लिए एक सुंदर रिवायत पेश कर रहा है।

इन फ़िल्मी सितारों में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी शामिल थे जो कान महोत्सव में नियमित चेहरा रहे हैं। ‘द लंचबॉक्स’ हो या ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’- उनकी फ़िल्मों के यथार्थवाद और उनमें उनके कच्चे, ताकतवर अभिनय की यूरोपीय दर्शकों के बीच एक विशेष प्रतिध्वनि है और यह इस बात का संकेत है कि संवेदनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को परोसने वाली फिल्में बनाने में भारत बहुत सक्षम है।

इस समूह में सुपरस्टार संगीतकार एआर रहमान की मौजूदगी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सिनेमैटोग्राफिक संगीत को ट्रिब्यूट देने के इरादे को प्रदर्शित किया। क्योंकि, शायद पूरी दुनिया के सिनेमा में सबसे ज्यादा भारतीय सिनेमा के डीएनए में ही साउंडट्रैक एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। भारत देश के संगीतमय सारसंग्रह का प्रदर्शन करते हुए रेड कार्पेट पर विभिन्न शैलियों का प्रतिनिधित्व किया गया। जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए नए जमाने के म्यूज़िक कंपोज़र और बहु-ग्रैमी पुरस्कार विजेता रिकी केज ने भारत के अधिकांश समकालीन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया, वहीं राजस्थान के म्यूजिक कंपोजर और लोक गायक मामे खान ने भारतीय सिनेमा पर लोक संस्कृति के प्रभाव को व्यक्त किया। बहुत सारे सदाबहार फिल्मी गीत लिखने वाले गीतकार और अब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी भी यहां उपस्थित थे।

इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न क्षेत्रीय सिनेमा की हस्तियों को शामिल किया गया था। इससे दुनिया को ये संकेत दिया गया कि भारत जहां 25 क्षेत्रीय फिल्म उद्योग हैं, उसके पास फिल्म प्रोडक्शन के लिहाज से बहुत से अलग-अलग कलेवर और शैली हैं। इस साल साउथ का सिनेमा सुर्खियों में रहा और छह अलग-अलग भाषाओं (तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी) में शूट की गई फिल्मों में शामिल रहे अभिनेता और निर्माता आर. माधवन भारतीय सिनेमा की इस चौंका देने वाली विविधता का एक अच्छा उदाहरण थे। तेलुगू सिनेमा के दो सुपरस्टार, तमन्ना भाटिया और पूजा हेगड़े ने भी इस प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के तौर पर अपनी चमकदार मौजूदगी दर्ज कराई। ‘मिस्टर इंडिया’ जैसी दिग्गज फिल्मों के निर्देशक और अब भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के अध्यक्ष शेखर कपूर के साथ-साथ अभिनेत्री और सीबीएफसी की सदस्य वाणी त्रिपाठी टीकू ने भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल में हिस्सा लिया।

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